किन्तु करि की ? किन्तु करि की ?
मुर्ख छलौं मूर्खे रहब 
सुधैर गेलौं त कपाड कहब 
दर्द त होएत अछि बहुत 
किन्तु करि की ? 
किन्तु करि की ?
जखन ! अपने सं छुटि गेलौं 
अनकर गप्प  की करब
जखन अनकों सं टूटी गेलौं 
तेसरक गप्प की करब   
टूटैक सिलसला चलये रहल अछि
चैलते रहत 
करि की ? 
किन्तु करि की ?
भावनाक कोनो मूल्य नै अछि ऐतह 
दोसरक दुखक कोनो मूल्य नै अछि ऐतह
प्रेम, दुःख -दर्द परसोंक गप्प बनल अछि ऐतह 
आखिर   
करि की ? 
किन्तु करि की ?
प्रेम क समर्पण सेक्स क संबोधन छि ऐतह 
भै अथवा बहिन प्रेम करैत रहू -
किन्तु समर्पण अपराध छि ऐतह 
आखिर   
करि की ? 
किन्तु करि की ?
बिन नशाक, जिबैक कल्पना केनायो मुस्किल अछि 
बिन नशाक, गप्पो करनाई मुस्किल अछि  
नशा के एहेन झकझोर जे लागल 
बिना चोट के चोट जे लागल 
आखिर   
करि की ? 
किन्तु करि की ?
एकटा सखी जे छल - बाल अवास्थक 
सब दुःख में कोशिश जे केलक रहबाक 
पति जे  हुनकर मित्र  छलाह हर समयक
एक दिन 
पुछ्लौं जकरा हम एक दिन 
आहां  त मित्र छि हमर
दर्दक क खबैर रखई छि हमरा सं बेसी हमर
हमरो त किछु कर्तब्य बनैत अछि 
कोनो तरहक जीवन में दर्द हुए अहाँ के 
मन पारब जरुर एक बेर 
प्राण जं काज आबी सके आहां लेल हमर
जीवन धन्य भ सके शायद हमर 
किन्तु 
सब गोटे भुझलाह
हम प्यासल छि 
शरीरक  !
आत्माक !
हम खुनी छि 
रिस्ताक !
धागक!
किन्तु 
मुर्ख छलौं मूर्खे रहब 
सुधैर गेलौं त कपाड कहब 
दर्द त होएत अछि बहुत 
किन्तु करि की ? 
किन्तु करि की ?
अशोक कुमार झा आनंद 
9873780087 
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